श्री महाकाल लोक की तर्ज पर देश के प्रमुख धार्मिक स्थलों में बनेंगे भव्य कॉरिडोर, पुजारी महासंघ ने पीएम मोदी को लिखा पत्र; 13 अखाड़ों को पुरातत्व कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की भी उठाई मांग!

उज्जैन लाइव, उज्जैन, श्रुति घुरैया:
देशभर में धार्मिक और सांस्कृतिक स्थलों के आधुनिकीकरण और संरक्षण की दिशा में बड़ा कदम उठाते हुए अब महाकाल लोक की तर्ज पर अन्य प्रसिद्ध मंदिरों और तीर्थ स्थलों पर भी भव्य कॉरिडोर बनाए जाने की मांग जोर पकड़ रही है। इसी क्रम में अखिल भारतीय पुजारी महासंघ ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर गोरखनाथ पीठ (गोरखपुर), राजा भर्तृहरि गुफा (उज्जैन), मनसा देवी मंदिर (हरिद्वार) और गलतापीठ (जयपुर) जैसे ऐतिहासिक स्थलों में भी कॉरिडोर बनाने की मांग की है।
पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय महासचिव रूपेश मेहता ने बताया कि जिन धार्मिक स्थलों पर कॉरिडोर बनाए गए हैं, वहां श्रद्धालुओं की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की संरचनाएं न केवल धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देती हैं, बल्कि आसपास के स्थानीय व्यापार, रोजगार, संस्कृति और सामाजिक विकास को भी गति देती हैं। उन्होंने उदाहरण दिया कि उज्जैन का महाकाल कॉरिडोर आज एक वैश्विक पहचान बन चुका है, जहाँ प्रतिदिन लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए पहुंचते हैं।
रूपेश मेहता ने यह भी बताया कि उत्तर प्रदेश सरकार वृंदावन में भी कॉरिडोर निर्माण की दिशा में कार्य कर रही है। यह केंद्र और राज्य सरकारों की धार्मिक धरोहरों को संरक्षित करने और आम जन के लिए अधिक सुलभ बनाने की पहल का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि ‘सबका साथ, सबका विकास’ की भावना के अंतर्गत इन स्थलों पर योजनाबद्ध विकास आवश्यक है।
भर्तृहरि गुफा को मिले पहचान, कॉरिडोर से जागेगा सांस्कृतिक गौरव
उज्जैन की राजा भर्तृहरि गुफा, जो कि त्रिकालदर्शी संत और राजा भर्तृहरि से जुड़ी है, आध्यात्मिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण स्थल है। यहाँ प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु साधना और दर्शन के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सीमित सुविधाओं के कारण यह स्थल अभी तक अपने पूर्ण गौरव को नहीं प्राप्त कर सका है। यदि यहाँ कॉरिडोर का निर्माण किया जाता है तो यह न केवल उज्जैन के धार्मिक महत्व को और ऊंचाई देगा, बल्कि सिंहस्थ जैसे आयोजनों के लिए भी अधोसंरचना को मजबूत करेगा।
13 अखाड़ों को पुरातत्व कॉरिडोर के रूप में विकसित करने की मांग
पुजारी महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष महेश पुजारी ने एक और महत्वपूर्ण मांग उठाई है – देशभर के 13 अखाड़ों को पुरातत्व कॉरिडोर के रूप में विकसित किया जाए। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म में अखाड़ों की परंपरा सिर्फ कुश्ती और सन्यास से नहीं, बल्कि धर्म रक्षा, संस्कृति संवर्धन और संत परंपरा से जुड़ी है। उन्होंने कहा कि इन अखाड़ों के इतिहास, स्थापना, शंकराचार्य की भूमिका और आज के समाज में उनके योगदान को चित्रों, शिलालेखों, डिजिटल डिस्प्ले और मार्गदर्शक पटों के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाना चाहिए।
केंद्र सरकार की पहल से जागेगी धार्मिक चेतना
पुजारी महासंघ ने यह स्पष्ट किया कि यदि केंद्र और राज्य सरकारें इन स्थलों पर कॉरिडोर निर्माण की दिशा में पहल करती हैं, तो इससे सनातन धर्म की जड़ों को और मजबूती मिलेगी और आने वाली पीढ़ियों को गौरवपूर्ण इतिहास से जुड़ने का अवसर मिलेगा। साथ ही धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा, स्थानीय युवाओं के लिए रोजगार के नए द्वार खुलेंगे और देश के आध्यात्मिक मूल्यों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी।